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मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

१९ फरवरी, २ महान हस्तियाँ और कुछ ब्लॉग पोस्टें - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो,
प्रणाम !

गोपाल कृष्ण गोखले (9 मई, 1866 - फरवरी 19, 1915) भारत एक स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक थे। महादेव गोविंद रानाडे के शिष्य गोपाल कृष्ण गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता से उन्हें भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे। चरित्र निर्माण की आवश्यकता से पूर्णत: सहमत होकर उन्होंने 1905 में सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसायटी की स्थापना की ताकि नौजवानों को सार्वजनिक जीवन के लिए प्रशिक्षित किया जा सके। उनका मानना था कि वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा भारत की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। स्व-सरकार व्यक्ति की औसत चारित्रिक दृढ़ता और व्यक्तियों की क्षमता पर निर्भर करती है। महात्मा गांधी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
परिचय
गोपालकृष्ण गोखले का जन्म रत्‍‌नागिरि कोटलुक ग्राम में एक सामान्य परिवार में कृष्णराव के घर 9 मई 1866 को हुआ। पिता के असामयिक निधन ने गोपालकृष्ण को बचपन से ही सहिष्णु और कर्मठ बना दिया था। देश की पराधीनता गोपालकृष्ण को कचोटती रहती। राष्ट्रभक्ति की अजस्त्र धारा का प्रवाह उनके अंतर्मन में सदैव बहता रहता। इसी कारण वे सच्ची लगन, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता की त्रिधारा के वशीभूत होकर कार्य करते और देश की पराधीनता से मुक्ति के प्रयत्न में लगे रहते। न्यू इंग्लिश स्कूल पुणे में अध्यापन करते हुए गोखले जी बालगंगाधर तिलक के संपर्क में आए।
1886 में वह फर्ग्यूसन कालेज में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक के रूप में डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी में सम्मिलित हुए। वह श्री एम.जी. रानाडे के प्रभाव में आए। सार्वजनिक सभा पूना के सचिव बने। 1890 में कांग्रेस में उपस्थित हुए। 1896 में वेल्बी कमीशन के समज्ञा गवाही देने के लिए वह इंग्लैण्ड गए। वह 1899 में बम्बई विधान सभा के लिए और 1902 में इम्पीरियल विधान परिषद के निर्वाचित किए गए। वह अफ्रीका गए और वहां गांधी जी से मिले। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की भारतीय समस्या में विशेष दिलचस्पी ली। अपने चरित्र की सरलता, बौद्धिक क्षमता और देश के प्रति दीर्घकालीन स्वार्थहीन सेवा के लिए उन्हें सदा सदा स्मरण किया जाएगा। वह भारत लोक सेवा समाज के संस्थापक और अध्यक्ष थे। उदारवादी विचारधारा के वह अग्रणी प्रवक्ता थे। 1915 में उनका स्वर्गवास हो गया।
अफ्रीका से लौटने पर महात्मा गांधी भी सक्रिय राजनीति में आ गए और गोपालकृष्ण गोखले के निर्देशन में 'सर्वेट्स आफ इंडिया सोसायटी' की स्थापना की, जिसमें सम्मिलित होकर लोग देश-सेवा कर सकें, पर इस सोसाइटी की सदस्यता के लिए गोखले जी एक-एक सदस्य की कड़ी परीक्षा लेकर सदस्यता प्रदान करते थे। इसी सदस्यता से संबंधित एक घटना है - मुंबई म्युनिस्पैलिटी में एक इंजीनियर थे अमृत लाल वी. ठक्कर। वे चाहते थे कि गोखले जी की सोसाइटी में सम्मिलित होकर राष्ट्र-सेवा से उऋण हो सकें। उन्होंने स्वयं गोखले जी से न मिलकर देव जी से प्रार्थना-पत्र सोसाइटी में सम्मिलित होने के लिए लिखवाया। अमृतलाल जी चाहते थे कि गोखले जी सोसाइटी में सम्मिलित करने की स्वीकृति दें तो मुंबई म्युनिस्पैलिटी से इस्तीफा दे दिया जाए, पर गोखले जी ने दो घोड़ों पर सवार होना स्वीकार न कर स्पष्ट कहा कि यदि सोसाइटी की सदस्यता चाहिए तो पहले मुंबई म्युनिस्पैलिटी से इस्तीफा दें। गोखले की स्पष्ट और दृढ़ भावना के आगे इंजीनियर अमृतलाल वी. ठक्कर को त्याग-पत्र देने के उपरांत ही सोसाइटी की सदस्यता प्रदान की गई। यही इंजीनियर महोदय गोखले जी की दृढ़ नीति-निर्धारण के कारण राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत सेवा-क्षेत्र में भारत विश्रुत 'ठक्कर बापा' के नाम से जाने जाते है।
गोखले जी 1905 में आजादी के पक्ष में अंग्रेजों के समक्ष लाला लाजपतराय के साथ इंग्लैंड गए और अत्यंत प्रभावी ढंग से देश की स्वतंत्रता की वहां बात रखी। 19 फरवरी 1915 को गोपालकृष्ण गोखले इस संसार से सदा-सदा के लिए विदा हो गए।

आज उनकी पुण्य तिथि पर पूरे ब्लॉग जगत की ओर से हम उन्हें सादर नमन करते है !

सादर आपका 

शिवम मिश्रा

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" हलवा है क्या ..........."

लो कर लो बात ... किसे पकाना था ... कौन पका रहा है !

 

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अजीब का तो पता नहीं हाँ परिचित जरूर है !

 

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आज ही दिन एक और महान हस्ती की जयंती है ... जानिए उनके बारे मे नीचे दी पोस्ट मे 

छत्रपति शिवाजी महाराज की जय

शिवम् मिश्रा at बुरा भला
*आज छत्रपति शिवाजी महाराज जी की जयंती है ... **(यहाँ जो चित्र दिया जा रहा है वो ब्रिटीश म्यूजियम स्थित शिवाजी महाराज का असली चित्र है)* आरंभिक जीवन शाहजी भोंसले की प्रथम पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से शिवाजी महाराज का जन्म १९ फरवरी, १६३० को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवनेरी का दुर्ग पूना (पुणे) से उत्तर की तरफ़ जुन्नार नगर के पास था। उनका बचपन राजा राम, गोपाल, संतों तथा रामायण, महाभारत की कहानियों और सत्संग मे बीता। वह सभी कलाओ मे माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी । ये भोंसले उपजाति के थे जोकि मूलत: कुर्मी जाति से संबद्धित हे | कुर्मी जाति कृषि स... more »

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

11 टिप्पणियाँ:

rashmi ravija ने कहा…

दोनों महान हस्तियों के विषय में अच्छी जानकारी और बढ़िया लिंक्स

हाँ, हलवा तो नहीं पका अब तक , पोस्ट जरूर पक गयी :)

Archana Chaoji ने कहा…

बहुत ही बढ़िया जानकारी समेटे हुए बुलेटिन हमेशा की तरह ...आभार

Madan Mohan Saxena ने कहा…

Thanks. Nice links

Anupama Tripathi ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन ....बहनें बहनें देने के लिए आभार शिवम भाई ...!!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर सूत्र..महापुरुषों को नमन..

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

गोखले जी और शिवाजी के बारे में पढना अच्छा लगा...भविष्य की चिंताओं में इतिहास भूलने सा लगे हैं..
हमारी रचना को स्थान देने का शुक्रिया...
सभी लिंक बेहतरीन..

अनु

Sadhana Vaid ने कहा…

गोपालकृष्ण गोखले जी के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए शुक्रिया शिवम् जी ! आज का बुलेटिन भी हमेशा की तरह बहुआयामी है ! मेरी रचना को इसमें स्थान देने के लिए धन्यवाद !

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

आभार।

Anupama Tripathi ने कहा…

दोनों महापुरुषों को शत-शत नमन ....दोनों के विषय मे बहुत विस्तृत जानकारी दी है ....आभार ....!!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

नमाम है दोनों ही युग पुरुषों को ... इतिहास भूल नहीं पायगा शिवाजी को कभी भी ...
सभी लिंक्स लाजवाब ... शुक्रिया मुझे भी शामिल करने का ...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

शिवम भाई, बडे जतन से संजोए हैं लिक्स! आभार।

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