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शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

क्यों 'ठीक है' न !? - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

एक बार में एक पाकिस्तानी,एक बंगलादेशी और एक भारतीय सरदार बियर पी रहे थे...

पाकिस्तानी अपनी बडबोलेपन की आदत से मजबूर बियर का ग्लास ख़त्म होने के बाद ग्लास को हवा में उछालता है और अपनी बन्दुक निकाल कर हवा में उसके टुकड़े-टुकड़े कर देता है...और बन्दुक की नली पर बड़ा इतराते हुए फूंक मारते हुए कहता है
"हमारे पाकिस्तान में कांच के इतने ग्लास बनते हैं कि हमें एक ही ग्लास को दुबारा इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं"

बंगलादेशी ठहरा नकलची सो उसने भी जल्दी जल्दी अपनी बियर ख़त्म की और अपना ग्लास हवा में उछाला और वो भी अपनी बन्दुक निकाल कर हवा में उसके टुकड़े-टुकड़े कर देता है....और भद्दी सी हसी हसते हुए कहता है...
"हमारे बांग्लादेश में भी इतने ग्लास बनते हैं कि हमें भी दुबारा एक ही ग्लास को इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं है"

हमारे सरदारजी शांति से अपनी बियर का मज़ा ले रहे थे आराम से एक एक घूँट पिए जा रहे थे...पाकिस्तानी और बंगलादेशी खूब इतरा रहे थे कि हमने भारतीय की बोलती बंद कर दी है
तभी सरदारजी की बियर ख़त्म होती है,सरदारजी अपना ग्लास टेबल पर रखते हैं और आवाज़ आती है धायं-धायं,सरदारजी अपनी बन्दुक निकालकर दोनों को मार देते हैं ... बाकी लोग घबरा जाते है तब सरदार जी समझते है कि

"ओये यार बात ये है की हमारे देश में इतने पाकिस्तानी और बंगलादेशी भरे पड़े हैं कि हमें हर बार एक ही पाकिस्तानी या बंगलादेशी के साथ बैठकर पीने की जरुरत ही नहीं है"

क्यों 'ठीक है' न !?

सादर आपका 
शिवम मिश्रा 
===================================
जल्दी वोट कीजिये

अरविन्द केजरीवाल के समर्थक नदारद !!

खाना खाने गए होंगे 

:)

तुम इतना जो :) रहे हो ... 

छंदचित्र...एवं...शेरगा

वाह ... क्या बात है 

घर-जमाई

रॉबर्ट वाडेरा 

सुहाने सपने

किस के 

अनुभुति की सुकृति ....!!

ब्लॉग की तीसरी वर्षगाँठ पर बधाइयाँ

घूरने वालों ने दी कुर्बानी ( एक व्यंग्य टिप्पणी)

इतिहास मे दर्ज़ हुई या नहीं 

माहिया

पहली कोशिश 

विंटर सिंड्रोम --या अतीत के धागे ---

आप बताएं 

कहना मुश्किल था कि बोतल में शराब थी या ---

दवा होगी ... 

Inner Beauty 

सब से जरूरी 

ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर ...:)

तुम नाराज़ न होना 

साहित्यकार

बड़ा या छोटा 

माल असबाब की सुरक्षा - हार की जीत

हार या जीत 

 ===================================
अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

13 टिप्पणियाँ:

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

जबरदस्त !!
आभार !!

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

हा हा हा ...

बहुत ही बढ़िया :)

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बढ़िया लिंक्स,आभार !शिवम् मिश्रा
जी ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए

Unknown ने कहा…

आज के लिंक्स बहुत सुन्दर और मजेदार हैं।
मुझे आपने इस अंक में स्थान देने योग्य समझा इसके लिए आभार!

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

लिंक्स संयोजन अच्छे लगे...आभार हमारी रचना को स्थान देने के लिए!!

Anupama Tripathi ने कहा…

bahut abhar Shivam bhai.........
kal fursat se links dekhti hoon ...!!

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सार्थक चिंतन की जीवंत दास्‍तान।

आभार शिवम भाई।

Rajendra kumar ने कहा…

सरदार जी ठीक ही कहा...बेहतरीन पठनीय लिकों के लिए आभार.

आशा बिष्ट ने कहा…

बहुत ही सुन्दर संग्रह
मेरी पंक्ति को शामिल करने हेतु धन्यवाद शिवम जी ...

shashi purwar ने कहा…

bahut sundar .waah ....badhai links bahut acche lage

http://sapne-shashi.blogspot.com

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सूत्र..

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

मुझे यहाँ स्थान देने के लिए आभार. अच्छे अच्छे लिंक्स, धन्यवाद.

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