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गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

क्या फक्फेना फाहब, फ़ेंचुरी तो हो जाने देते - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

आज ३१ अक्तूबर है ... वैसे तो आज के दिन को याद रखने के और भी बहुत से कारण है पर आज सुबह से जिस खबर के कारण आज का दिन विशेष हो गया है वो कोई खुशखबरी नहीं पर एक दुखद खबर है ! 

मशहूर लेखक केपी सक्सेना साहब नहीं रहे ... 
  'लगान', 'स्वदेस' और 'जोधा अकबर' जैसी सुपरहिट फिल्मों में डायलॉग लिखने वाले लखनऊ के मशहूर लेखक और व्यंग्यकार केपी सक्सेना ने ८१ साल की उम्र में आज इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। केपी के नाम से मशहूर यह लेखक एक साल से जीभ के कैंसर से जूझ रहा था और दो बार उनकी सर्जरी भी हो चुकी थी।
केपी सक्सेना का पूरा नाम कालिका प्रसाद सक्सेना था, लेकिन अपने चाहनेवालों के बीच वे केपी के नाम से ही मशहूर हुए। केपी की पकड़ सिर्फ हिंदी पर नहीं थी, बल्कि उर्दू और अवधी में भी उनको महारत हासिल थी। साहित्य में खास योगदान के लिए उन्हें 2000 में पद्मश्री पुरस्कार दिया गया था। अपनी चुंबकीय लेखन शैली के चलते उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में भी मौका मिला और उनके जबरदस्त डायलॉग्स ने कई फिल्मों को सुपरहिट बनाया। उन्होंने लगान, स्वदेस, हलचल, जोधा अकबर (2008)च् जैसी सुपरहिट फिल्में दी हैं। जोधा अकबर के लिए तो उन्हें बेस्ट डॉयलाग कैटेगरी में फिल्म फेयर अवार्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था।
केपी ने 80 के दशकी शुरुआत में दूरदर्शन के लिए सीरियल 'बीवी नातियों वाली' लिखा था। केपी ने लेखन के क्षेत्र में आने से पहले रेलवे में लिए स्टेशन मास्टर के तौर पर नौकरी भी की थी। बरेली में जन्मे केपी पचास के दशक में लखनऊ में आकर बस गए थे। 

फेसबुक पर भी लोगो ने इस दुखद खबर पर गहरा शोक प्रकट किया है ...



Amit Kumar Srivastava

फ़ेंचुरी फे उन्नीफ रन कम रह गए ,फक्फेना फाहब के । जब तक रहे खूब हंफे और खूब हंफाया । फुरुआती दौर में उन्होंने अपनी निजी और इकलौती बेगम और रेलवे फे फम्बंधित वाकयों पर ( लखनऊ में वह फ्टेशन माफ्टर थे ) बहुत फारे व्यंग लिखे । 'पराग' में जब खलीफा तरबूजी फेमफ हुआ था तब एक बार अपने पिता जी ( रेलवे में गार्ड ) के फाथ उनफ़े चारबाग फ्टेशन पर उनके कक्ष में मिला था । मेरे पिता जी के अच्छे मित्र थे वह ,उफ फमय मै बहुत छोटा था । उनकी क्रिकेट की कमेंट्री मुझे आज भी याद है ,जिफमें उन्होंने लिखा था ,"फाले फब के फब गुफ गए "।

विनम्र फ्रद्धांजलि ।

Kanchan Singh Chouhan

कुछ लोगों का होना अजीब होता है आपके जीवन में। उतना ही अजीब था के०पी० सक्सेना जी का होना। ३० सितंबर २००७ को उन्होने कहा था कि अगली ३० सितंबतर को तुम कई जगह छप चुकी होगी। जाने क्या था उस समय उनकी जुबान पर......

ये फोटो खिंचाने वो मंच से नीचे उतर कर मेरे पास आये थे और कहा था, जब तुम लिजेंड बनोगी तब मैं जिंदा नही रहूँगा, तुम्हारे साथ फोटो खिंचाने को.....!!




 

Sonal Rastogi

'अपने ही पानी में पिघलना बर्फ का मुकद्दर होता है'
के पी सक्सेना — feeling sad.



Rashmi Ravija

'फुबह के फ़ात बज रहे हैं ,फक्फेना फाहब ... बालुफाही और फमोफे लेने नहीं चलेंगे '
बचपन से खलीफा तरबूजी का ये जुमला जुबान पर चढ़ा हुआ है.
के.पी.सक्सेना साहब के हास्य-व्यंग्य हमेशा से बहुत ही उत्कृष्ट कोटि के और चेहरे पर मुस्कान लाने में सक्षम रहे हैं. आज के हास्य-व्यंग्य विधा की दुर्गति देख वे और भी याद आयेंगे .आपकी कमी हमेशा खलेगी .
विनम्र श्रद्धांजलि


Nivedita Srivastava

आज लखनऊ के हास्य और व्यंग की धार कहीं खो गयी ...... के . पी . सक्सेना जी आपके लिए स्वर्गीय लिख जाना कचोट रहा है 



सलिल वर्मा

Abhi Shivam ne fone par khabar di..
Maine turat fone milaya.
Wo manhoos khabar pakki nikali.. Jeebh aur gale ki problem thi..
Subah Heart fail ho gaya..
Mujhe ek meethi zuban sikhane wale mere guru Drona SHRI K P SAXENA nahin rahe..
Abhi pichhale hafte apne bete ke sath unke ek article par short film banayi thi.. Aur main bana K P..
Mera pranaam aapke charanon mein!!
Aap sada jeevit rahenge mere dil mein - mere lekhan mein.



Dipak Mashal

कई लोग के.पी.सक्सेना जी को लगान फ़िल्म की वजह से जानते हैं, लेकिन असल में लगान उनकी प्रतिभा के ट्रेलर का भी ट्रेलर भर थी। विनम्र श्रद्धांजलि


Herjinder Sahni

कुछ सप्ताह पहले ही यह सिलसिला टूटा. पिछले कईं साल से सोमवार की दोपहर जब मैं के पी सक्से ना के व्यंयग्य का संपादन कर रहा होता था तभी कूरियर से उनका अगले सप्ता ह का व्यं ग्य आ जाता था. कभी कभी मेरे काम में देरी हो जाती थी लेकिन उनका व्यंयग्य समय पर ही आता था. मैं ही नहीं मेरे बाकी सहयोगी भी लाल और नीली स्या ही से लिखे गए खूबसूरत हैंडराइटिंग वाले उस लिफाफे का इंतजार करते थे.
मैं लखनऊ की उस पीढी का हूं जो स्वातंत्र भारत में के पी सक्सेना का व्यंग्य पढते हुए बडी हुई. व्यंग्य से हमारा पहला परिचय के पी सक्सेपना के जरिये ही हुआ. परसाई और शरद जोशी तो हमारी जिंदगी में बहुत बाद में आए.
लखनऊ छोडा तो के पी सक्से ना मेरे लिए और भी महत्वापूर्ण हो गए. उनके व्यंग्य अब सिर्फ व्यं ग्य् नहीं थे, वे अब ऐसी रचनाएं थीं जिनमें मैं लखनऊ का महसूस कर सकता था.

लेकिन आज, लखनऊ से दूरी की तकलीफ को कम करने वाला एक और पुल टूट गया.


Lalitya Lalit

के पी का जाना

आज सुबह हिंदी व्यंग्य के बुजुर्ग व्यंग्य शिल्पी श्री के पी सक्सेना का लम्बी बीमारी के बाद लखनऊ में निधन हो गया ,उन के लेखन में एक एहसास था जो पड़ने बैठता था तो पढ के ही उठता था ,कभी वोह अपने जीवन में किसी भी द्वन्द ने नहीं रहे ,एक एक कर बुजुर्ग रचनाकारों का चले जाना हिंदी साहित्य की एक अपूरणीय क्षति है ,प्रभु उन कि आत्मा को शांति प्रदान करे



Satish Kumar Chouhan

लखनऊ से अट्हास पत्रिका के संपादक और चर्चित रचनाकार अनूप श्रीवास्तव ने दुखद समाचार दिया कि आज सुबह ७ बजे हिंदी व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर के पी सक्सेना का स्वर्गवास हो गया। हिंदी व्यंग्य को विशाल पाठक वर्ग से जोड़ने एवं उसे लोकप्रिय विधा बनाने में के पी भाई का महत्वपूर्ण योगदान है ,



Sanjay Vyas

केपी जी !! RIP

BANK LOCKER- by K P SAXENA............. www.youtube.com
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम और पूरे हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम सब स्व॰ के॰ पी॰ सक्सेना साहब को अपनी हार्दिक विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है ... शत शत नमन करते है ... प्रभु उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ... ॐ शांति शांति शांति |
 

क्या फक्फेना फाहब, फ़ेंचुरी फे उन्नीफ रन ही तो कम रह गए , आप ने अपना विकेट इतनी आफानी फे कैफे दे दिया !?

आप तो ऐफे न थे !!

बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

डॉ. होमी जहाँगीर भाभा और ब्लॉग बुलेटिन

सभी चिट्ठकार मित्रों को सादर नमन।।


स्वंत्रत भारत को परमाणु युग में प्रवेश दिलाने का श्रेय महान वैज्ञानिक डॉ. होमी जहाँगीर भाभा को ही जाता है। डॉ. भाभा एक ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में अपनी वैज्ञानिक क्षमता का परिचय दिया था।

डॉ. भाभा का जन्म बंबई (मुंबई) के एक पढ़े लिखे धनवान पारसी परिवार में 30 अक्टूबर, 1909 ई. में हुआ था। इनके पिता श्री जे. एच. भाभा बंबई (मुंबई) के सुप्रसिद्ध बैरिस्टरों में से एक थे।

डॉ. भाभा की प्रारंभिक शिक्षा बंबई (मुंबई) के केथेड्रल और जॉन कैनन हाईस्कूल में हुई। पढ़ाई में इनका काफी मन लगता था, उनकी विशेष रूचि गणित में थी, 15 वर्ष कि आयु में ही उन्होंने सीनियर कैम्ब्रिज कि परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। इसके बाद उन्हें एलफिंस्टन कॉलेज में प्रवेश दिलाया गया, वहाँ भी इन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। उसके बाद इनका प्रवेश रॉयल सोसाइटी ऑफ़ साइंस में कराया गया, यहाँ अध्ययन करते हुए उन्होंने बंबई (मुंबई) विश्वविद्यालय की आई. एस. सी. की परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की। पूरा लेख यहाँ पढ़े .… 


आज उनकी 114 वीं जयंती पर पूरा हिंदी ब्लॉगजगत और ब्लॉग बुलेटिन की टीम उन्हें श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करती है। सादर।।


अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर ......














तब तक के लिए शुभ रात्रि, कल फिर मिलेंगे।।

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

आज का यह विशेष बुलेटिन स्वर्गीय राजेंद्र यादव को श्रद्धा सुमन अर्पित करता है



हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर राजेंद्र यादव का सोमवार देर रात निधन हो गया. वह 85 साल के थे...अपने लेखन में समाज के वंचित तबके और महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वाले राजेंद्र यादव प्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद की ओर से शुरू की गई साहित्यिक पत्रिका हंस का 1986 से संपादन कर रहे थे.
प्रेत बोलते हैं (सारा आकाश), उखड़े हुए लोग, एक इंच मुस्कान (मन्नू भंडारी के साथ), अनदेखे अनजान पुल, शह और मात, मंत्रा विद्ध और कुल्टा उनके प्रमुख उपन्यास हैं.इसके अलावा उनके कई कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं. इनमें देवताओं की मृत्यु, खेल-खिलौने, जहाँ लक्ष्मी कैद है, छोटे-छोटे ताजमहल, किनारे से किनारे तक और वहाँ पहुँचने की दौड़ प्रमुख हैं. इसके अलावा उन्होंने निबंध और समीक्षाएं भी लिखीं.
राजेंद्र यादव का जीवन विवादों से भरा रहा. मगर उन्होंने कभी इससे हार नहीं मानी.
आज की पीढ़ी उन्हें 'हंस' के संपादक के रूप में याद करेगी. 'हंस' का संपादन उन्होंने उस समय शुरू किया, जब उनकी रचनात्मकता का सबसे अनुर्वर समय था. इसलिए रचनाकार राजेंद्र यादव को वह पीढ़ी नहीं जान पाई, जो 'हंस' पढ़कर बड़ी हुई. लेकिन इसके पहले की पीढ़ी उन्हें नई कहानी की त्रयी के सदस्य के रूप में याद करेगी.
आगरा विश्वविद्यालय से ही 1951 में हिंदी में एमए करने वाले राजेंद्र यादव के मशहूर उपन्यास 'सारा आकाश' पर बासु चटर्जी ने फिल्म भी बनाई थी।
आज का यह विशेष बुलेटिन स्वर्गीय राजेंद्र यादव को श्रद्धा सुमन अर्पित करता है =

मैं न तो कोई लेखक, कहानीकार या कवि था न ही कोई जाना माना प्रकाशक। फिर भी हंस के कार्यालय में कभी जाना हुआ तो पूरा समय देते थे। नए प्रकाशक की चुनौतियों के बारे में बताया करते थे। क्या नया छाप रहा हूँ, इस बारे में पूछते थे। हंस में विज्ञापन देने का कोई रिस्पांस मिलता है कि नहीं यह भी पूछते थे। जब हमारे प्रकाशन ज्योतिपर्व से महत्वाकांक्षी श्रृंख्ला का लोकार्पण होना था तो बहुत संकोच से गया था उनके पास लेकिन उन्होंने आने के लिए सहमति देने में मिनट भी नहीं लगाया। अपनी कुछ कहानियां देने का वादा किया था लेकिन उस से पहले चले गए। विनम्र श्रद्धांजलि !

Photo: Rajendra Yadav & Arun Chandra Roy
Kajal Kumar
राजेन्द्र यादव को मैं कभी नहीं मि‍ला लेकि‍न फि‍र भी उन्‍हें व्‍यक्‍ति‍ के रूप में मैंने कभी पसंद नहीं कि‍य पर हां , उनके संपादकीय मैंने कई साल पढ़े. पढ़े इसलि‍ए कि‍ उनमें बहुत कुछ नया होता था ना कि‍ सुनी-सुनाई बातें. श्रद्धांजलि.

अब कुछ लिंक्स =



सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

कौन निभाता किसका साथ

नमस्कार दोस्तों,

प्रस्तुत है आज की बुलेटिन मेरी नई कविता के साथ -


















कौन निभाता किसका साथ
आती है रह-रह कर यह बात

मर कर भी ना भूलें जो बातें
कोई बंधा दे अब ऐसी आस

गुज़रे लम्हों को लगे जिलाने
रो रो दिनभर कर ली है रात

सूना यह दिल किसे पुकारे
दया ना आती जिसको आज

आना होता अब तो आ जाता
अपनी कहने सुनने को पास

कह देता इतना मत रो अब
यह अपने आपस की बात

झूठी हसरत सुला कब्र में
सुबह हुई 'निर्जन' अब जाग

आती है रह-रह कर यह बात
कौन निभाता किसका साथ

आज की कड़ियाँ 

पता नहीं समझने में कौन ज्यादा जोर लगाता है - सुशिल कुमार जोशी

स्मृतियाँ - अनुलाता

जाने कहाँ चली गई ज़िंदगी - रेखा जोशी

अल्टीमेट मूल्य सूची - रविशंकर श्रीवास्तव

साठ माह और सही - कृतीश भट्ट

ख्वाब के पौधे - शहीद अंसारी

बददुआ - उदय

रिश्ते, नेहरू और पटेल के - मोहन क्षत्रिय

हिन्‍दुस्‍तान में हिन्‍दू होने की सजा - विकेश

इन मुखौटों की सच्चाई तुम क्या जानो - उपासना सिआग

लाज - इमरान अंसारी

आज के लिए बस इतना ही फिर मुलाक़ात होगी तब तक के लिए विदा |

जय हो मंगलमय हो | हर हर महादेव | जय बजरंगबली महाराज 

रविवार, 27 अक्तूबर 2013

शहीद जतिन नाथ दास और ब्लॉग बुलेटिन

सभी चिठ्ठाकार मित्रों को सादर नमस्ते।।


आज अमर शहीद जतिन नाथ दास जी की 109 वीं जयंती के अवसर पर 
हिंदी ब्लॉगजगत और ब्लॉग बुलेटिन की टीम उनको  श्रद्धापूर्वक नमन करती है। सादर।।



अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर …














कल फिर मिलेंगे। तब तक के लिए शुभरात्रि।।

शनिवार, 26 अक्तूबर 2013

गणेश शंकर विद्यार्थी और ब्लॉग बुलेटिन

सभी चिठ्ठाकार मित्रों को हार्दिक नमस्कार।।

आज भारत के महान पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी और प्रख्यात समाजसेवी श्री गणेश शंकर विद्यार्थी जी का जन्म दिवस है। श्री गणेश शंकर विद्यार्थी जी का जन्म 26 अक्टूबर, 1890 ई. में इलाहाबाद में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री जयनारायण था। गणेश जी ने उस वक़्त की कई प्रतिष्ठित पत्र - पत्रिकाओं में लेखन कार्य किया था, "सरस्वती" और "कर्मयोगी" जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में वो निरन्तर लेखन करते रहे। गणेश जी ने "सरस्वती" पत्रिका के संपादक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के सहायक के रूप में भी कई वर्षों तक कार्य किया था।  हिंदी का प्रतिष्ठित दैनिक अखबार "प्रताप" इन्हीं की देन है।


आज इनके 123 वें जन्म दिवस पर हिंदी ब्लॉगजगत और ब्लॉग बुलेटिन टीम उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करती है। सादर।।


अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर  …


















उम्मीद है कि आपको ये बुलेटिन अवश्य पसंद आएगी। आभार।।

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

सब 'उल्टा-पुल्टा' चल रहा है - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

आज २५ अक्तूबर है ... ठीक एक साल पहले आज ही के दिन एक दुर्घटना मे हम सब ने एक ज़िंदादिल इंसान और एक बेहद उम्दा व्यंग्यकार को खो दिया ... 

जसपाल भट्टी (3 मार्च 1955 – 25 अक्तूबर 2012) हिन्दी टेलिविज़न और सिनेमा के एक जाने-माने हास्य अभिनेता, फ़िल्म निर्माता एवं निर्देशक थे। व्यंग्य चित्रकार (कार्टूनिस्ट) जसपाल भट्टी, 80 के दशक के अंत में दूरदर्शन की नई प्रातःकालीन प्रसारण सेवा में उल्टा-पुल्टा कार्यक्रम के माध्यम से प्रसिद्ध हुए थे। इस शो से इससे पहले जसपाल भट्टी चण्डीगढ़ में द ट्रिब्यून नामक अख़बार में व्यंग्य चित्रकार के रूप में कार्यरत थे। एक व्यंग्य चित्रकार होने के नाते इन्हे आम आदमी से जुड़ी समस्याओं और व्यवस्था पर व्यंग्य के माध्यम से चोट करने का पहले से अनुभव था। अपनी इसी प्रतिभा के चलते उल्टा-पुल्टा को जसपाल भट्टी बहुत रोचक बना पाए थे। ९० के दशक के प्रारम्भ में जसपाल भट्टी दूरदर्शन के लिए एक और टेलीविज़न धारावाहिक, फ्लॉप शो लेकर आए जो बहुत प्रसिद्ध हुआ और इसके बाद जसपाल भट्टी को एक कार्टूनिस्ट की बजाय एक हास्य अभिनेता के रूप में जाना जाने लगा। हिन्दी फिल्म जगत मे भी उन्होने अपनी मजबूत पैठ बनाई | २५ अक्टूबर, २०१२ को सुबह ३ बजे जालंधर, पंजाब में एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया।

पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम भट्टी साहब को शत शत नमन करते है !
सादर आपका 
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आइये जानते हैं रैनसमवेयर (Ransomware)नाम के कंप्यूटर वायरस के बारे में

manoj jaiswal at ultapulta
[image: आइये जानते हैं रैनसमवेयर नाम के कंप्यूटर वायरस के बारे में] म नोज जैसवाल : सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। काफी समय पहले जब मैने यह ब्लॉग बनाया और इसका नाम रखा। तब मुझे नहीं मालूम था कि इसी नाम से स्वर्गीय श्री जसपाल भट्टी साहब ने अपना एक सीरियल भी बनाया था। मैं जल्द से जल्द अपने इस ब्लॉग का नाम कोई दूसरा रख लेने का प्रयास करूंगा। जसपाल भट्टी साहब की प्रथम पुण्यतिथि पर स्वर्गीय श्री जसपाल भट्टी साहब को शत शत नमन। आज की पोस्ट में मैं आपको जानकारी दूँगा 'आइये जानते हैं रैनसमवेयर नाम के कंप्यूटर वायरस के बारे में' एक नया कंप्यूटर वायरस सामने आया है, जिसे रैनसमवेयर कहा Rea... more » 

हनुमान जी का एक और रूप, सालासर के बालाजी महाराज

गगन शर्मा, कुछ अलग सा at कुछ अलग सा
श्री श्री बाला जी महाराज राजस्थान के चूरू जिले के एक कस्बे सुजानगढ़ से करीब 34 किलोमीटर दूर एक गांव, सालासर, जो नॅशनल हाईवे 65 पर पड़ता है. इसी के बीचोबीच स्थित है हनुमान जी का सुप्रसिद्ध बालाजी का मंदिर. जहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है. चैत्र और आश्विन पूर्णिमा के समय यहाँ मेला भरता है जब लाखों लोग अपनी आस्था और भक्ति के साथ यहाँ आकर हनुमान जी के दर्शन का पुण्य लाभ उठाते हैं. मंदिर की चांदी जड़ी दीवारें मंदिर के बारे में जनश्रुति है कि वर्षों पहले नागौर जिले के एक गांव असोटा के एक किसान को अपने खेत में काम करने के दौरान हनुमान जी की एक मूर्ती प्राप्त हुई. दिन था .more » 

फ्लावर वेस (flower vase)

महंगे कीमती फ्लावर वेस में करीने से लगा व सजा मेरा जीवन मूल पौधे से कट कर फिर भी पानी व खाद के साथ एसी कमरे मे सजा कर बढ़ा दी गई लाइफ मेरी पर कहाँ रह पता मेरा जीवन वो पौधे से जुड़े रह कर खिलना और फिर गर्मी व अंधर में जल्द ही मुरझा जाना मुझे तो दे दो ऐसा ही जीवन दरख्तों से जुड़े रह कर मुसकाना,खिलखिलाना और फिर यूं ही गिरती पंखुड़ियों की बिछती सैया मे शामिल हो जाना मैं तो चाहती बस ऐसा ही जीवन रासायनिक खादों से भरपूर जीवन देकर पर,फिर तोड़ कर अंततः फ्लावर वेस में सजा कर मत करो मेरा बरबाद जीवन बिखेरने दो सुरभि मुझे पराग निषेचन के लिए आने दो मेरे पंखुड़ियों पर तितलियों ... more » 

जय, जय, जय शोभन सरकार...

आने वाले हैं अब चुनाव, कहां है सौना मुझे बताओ, कृपा करो मुझ पर अब, जय, जय, जय शोभन सरकार... मिलता मुझे येसौना सारा, चमक जाता भाग्य का सितारा, देता नोट, लेता वोट, जय, जय, जय शोभन सरकार... जंता के बीच कैसे जाऊं, क्या अपनी मजबूरी बताऊं, न कर सका पूरे चुनावी वादे, जय, जय, जय शोभन सरकार... रात को अब नींद न आती, दिन को कुर्सी की चिंता सताती, जो भी कहो, मैं दूंगा जीतकर, जय, जय, जय शोभन सरकार... जब जीतकर मैं आऊंगा, तुम्हारे मंदिर को महल बनाउंगा, तुम्हे विश्व ख्याती दिलाउंगा जय, जय, जय शोभन सरकार...

192..कसीदाकारी

ऋता शेखर मधु at मधुर गुंजन
* * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *आज दर्द का इक **टुकड़ा * *फ़लक में उड़ा दिया हमने* *चंद ख्वाबों से हँसकर* *पीछा छुड़ा हमने* *चाँद से चुराकर एक किरन* *जीवन की चादर पर* *कसीदाकारी की है* *बड़े जतन से * *समेटकर शबनम* *यादों की रुनझुन पायल पर* *मीनाकारी की है* *होठों पर सजाकर* *मुसकान की कलियाँ* *खुश्बुओं को ओढ़ने की * *अदाकारी की है* *ऐ जिन्दगी,* *तुम भी तो हम इंसानों के संग* *तरह तरह की बाजीगरी दिखाती हो* *तुम्हारी प्रतिद्वंदि बन कर* *तुमसे टक्कर लेने को* *फिर क्यूँ न हम भी कारीगरी कर जाएँ|* *.........................ऋता* 

क्या फेसबुक से ब्लॉग पर सक्रियता कम हो रही है ? (5)

रेखा श्रीवास्तव at मेरा सरोकार
कहने को तो फुरसतिया जी नाम से लगते हैं कि बड़ी फुरसत में रहते होंगे, लेकिन विषय पर उन्होंने अपने ब्लॉग से कथन उठाने की अनुमति दी है। सो विषय के अनुरूप हमने उनके विचारों को लिया। सफाई इसा लिए पेश कर रही हूँ कि चोरनी का लेबल न लग जाय ! संकलक के अभाव में यह कहना मुश्किल है कि ब्लॉग बनने की गति क्या है और प्रतिदिन छपने वाली पोस्टों की संख्या क्या है लेकिन यह तय बात है कि ब्लॉग धड़ाधड़ अब भी बन रहे हैं और लोग पोस्टें भी लिख रहे हैं। फ़िर यह बात कैसे फ़ैली कि ब्लॉगिंग कम हो गयी है। हुआ शायद यह कि कुछ लोग जो पहले से लिख रहे थे और जिनके पाठक... more » 

अकथ

आनंद कुमार द्विवेदी at आनंद
मैंने कह दिया, लेकिन कह पाया केवल खुद को नहीं नहीं खुद की इच्छाओं को, अकथ आज भी नहीं कहा जा सका मुझसे मैं ये क्या कह रहा हूँ और क्यों ? पर... क्या मैं कह रहा हूँ ये सब, मैं तो तुम हो गया हूँ प्रियतम ये कहना भी अर्चन है तुम्हारा मेरे मंदिर के घंटियों की ध्वनियाँ इन्हें बेतरतीब ही स्वीकार लो ! - आनंद 

इंतज़ार में हूँ

आजकल मेरा समय काटे नहीं कटता है सारा दिन तुम्हारे ख्यालों में खोया रहता है समस्त बातों का केंद्रबिंदु हो गए हो तुम. सारे विचार तुम तक जाकर लौट आते हैं मेरे सारे सपने तुम में ही ठौर पाते हैं तुम और तुम्हारे एहसास से लिपटी रहती हूँ अपने इस हाल पर विस्मित रहती हूँ . यहाँ,मेरा यह हाल है .... पर, पता नहीं तुम वहाँ क्या करते हो ? क्या कभी तुम्हें मेरा ख्याल आता है क्या तुम मुझे अपने पास पाते हो कभी मेरी कमी का एहसास होता है इन सभी सवालों के जवाब पाने के लिए .. मैं बहुत बेचैन रहती हूँ .. पर,तुम तो फिर तुम हो न मैं आँखों से जब कहती हूँ तुम अनदेखा कर जाते हो जो मैं तुमसे कुछ पूछूँ तुम... more » 

क्षणिकाएं

कम्पोज़ की गोली वह बिचोलिया है जो अक्सर मेरी नींद और मेरे सपनो का मेल करवा देती है ***************** सो रही है रात जाग रही आँखे जैसे मंजिल से दूर बेनाम सा कोई रास्ता ............ *************** दिवार पर छेद करती ड्रिल मशीन भुरभुरा कर गिरती लाल मिट्टी न जाने क्यों एक सी लगी मुझे तेरे और अपने होने की .... *********** कैसे हो होती हैं पल पल मेरी ज़िन्दगी भी ठीक उस सांवली रात की तरह .. जो सूरज से मिलने की तड़प की इन्तजार में सिसक सिसक कर दम तोड़ देती है | और यूँ ही उम्र तमाम होती जाती है भुरभुरा के दुःख सुख की परतों में 

सुरसा सी बढ़ रही मंहगाई से आम आदमी त्रस्त और नेता हैं मस्त ....

mahendra mishra at समयचक्र
देश में जिस तरह से मंहगाई बढ़ रही है उससे आम आदमी त्रस्त हो गया है. कभी प्याज तो कभी दूध तो कभी सब्जियां इनके दाम इस कदर तेजी के साथ बढ़ रहे हैं कि लोगबाग परेशान हैं . अभी प्याज के मूल्यों में जिस तरह से तेजी आई कि यह आम आदमी की भोजन की थाली से दिनोंदिन दूर होती जा रही है. केन्द्रीय मंत्री उलजुलूल बयान दे रहे हैं . कोई मंत्री कहता है कि प्याज की जमाखोरी के कारण प्याज के दामों में तेजी आई है तो दूसरा मंत्री कहता है कि देश में प्याज की जमाखोरी नहीं हो रही है और अधिक बारिश के कारण प्याज की फसल खराब हो गई है और उसकी सप्लाई समय पर नहीं हो पा रही है. एक प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दूसरे प्रद... more » 

एक आवाज़ जिसने गज़ल को दिए नए मायने

मखमली आवाज़ की रूहानी महक और ग़ज़ल के बादशाह जगजीत सिंह को हमसे विदा हुए लगभग २ साल बीत चुके हैं, बीती १० तारिख को उनकी दूसरी बरसी के दिन, उनकी पत्नी चित्रा सिंह ने उनके करोड़ों मुरीदों को एक अनूठी संगीत सी डी का लाजवाब तोहफा दिया. "द वोईस बियोंड' के नाम से जारी इस नायब एल्बम में जगजीत के ७ अप्रकाशित ग़ज़लें सम्मिलित हैं, जी हाँ आपने सही पढ़ा -अप्रकाशित. शायद ये जगजीत की गाई ओरिजिनल ग़ज़लों 
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 अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!!

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

२४ अक्तूबर का दिन और ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

आज २४ अक्तूबर है ... वैसे तो आज का दिन विशेष है क्यों कि आज कर्नल डा॰ लक्ष्मी सहगल की ९९ वीं जयंती है ... पर दिन की शुरुआत ही महान गायक मन्ना डे साहब के निधन की खबर से हुई !


इस खबर के फैलते ही ब्लॉग जगत और फेसबुक पर शोक संदेश आने लगे !

आज की बुलेटिन समर्पित है कर्नल लक्ष्मी सहगल और मन्ना डे साहब को ... पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से इन दोनों महान विभूतियों को शत शत नमन !

सादर आपका 

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मन्ना डे… तू संगीत का सागर है…

Lalit Kumar at दशमलव 

बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

भैरोंसिंह शेखावत, आर. के. लक्ष्मण और ब्लॉग बुलेटिन

सभी चिठ्ठाकार मित्रों को सादर नमस्कार।।

आज भारत की दो महान शख्सियत स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत जी और आर. के. लक्ष्मण जी का जन्म दिवस है। आज उनके जन्म दिवस पर पूरा हिंदी ब्लॉगजगत और ब्लॉग बुलेटिन टीम उन्हें सादर नमन करते है।





अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर  …













कल फिर मिलेंगें। तब तक के लिए शुभ रात्रि।।

मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

पिया का घर-रानी मैं



पिया का घर-रानी मैं  …बचपन के गुड़िया घर से राजा का इंतज़ार और रानी होने का गुमां लड़कियों को व्रत करने की कर्मठता देते हैं - हरियाली तीज,तीज,सोलह सोमवार, …करवा चौथ इत्यादि कई व्रत हैं,जिसके आगे पति की दीर्घायु की कामना लिए पत्नी अन्न,जल ग्रहण नहीं करती,सावित्री बन जाने का संकल्प लेती हैं  . 
चाँद हमारी हथेली में आ गया,विज्ञान ने कई दरवाज़े खोल दिए, …… पर परम्परा ने संस्कारों को पूर्णतः वैज्ञानिक नहीं बनाया ! हाँ - परिवर्तन की बहती हवा ने पतियों को भी व्रत रखना सिखाया - कई युवा पति पत्नी की भूख में अपना साथ देते हैं ! 
चलिए भूमिका बहुत हुई - आज करवा चौथ है तो कुछ लिंक्स के सकारात्मक,नकारात्मक भोग इस विशेष दिन पर =


लिंक्स पढ़िए और विश्वास रखिये कि -
सुहागिन या पतिव्रता स्त्रियों के लिए करवा चौथ बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। यदि दो दिन की चंद्रोदय व्यापिनी हो या दोनों ही दिन, न हो तो 'मातृविद्धा प्रशस्यते' के अनुसार पूर्वविद्धा लेना चाहिए।

स्त्रियां इस व्रत को पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं। यह व्रत अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुरूप रखा जाता है, लेकिन इन मान्यताओं में थोड़ा-बहुत अंतर होता है। सार तो सभी का एक होता है पति की दीर्घायु।

सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

आज़ाद हिन्द फ़ौज को नमन

आदरणीय ब्लॉगर मित्र मंडली - सादर प्रणाम 














आज का दिन बहुत बड़ा दिन है | आज २१ अक्टूबर है | आज हमारे अपने दिवंगत आदरणीय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने २१ अक्टूबर १९४३ में आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना की घोषणा की थी | किस्सा कुछ इस प्रकार से है : -

आज़ाद हिन्द फ़ौज सबसे पहले राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने २९ अक्तूबर १९१५ को अफगानिस्तान में बनायी थी। मूलत: यह 'आजाद हिन्द सरकार' की सेना थी जो अंग्रेजों से लड़कर भारत को मुक्त कराने के लक्ष्य से ही बनायी गयी थी। किन्तु इस लेख में जिसे 'आजाद हिन्द फौज' कहा गया है उससे इस सेना का कोई सम्बन्ध नहीं है। हाँ, नाम और उद्देश्य दोनों के ही समान थे। रासबिहारी बोस ने जापानियों के प्रभाव और सहायता से दक्षिण-पूर्वी एशिया से जापान द्वारा एकत्रित क़रीब ४०,००० भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना का गठन शुरू किया था और उसे भी यही नाम दिया अर्थात् 'आज़ाद हिन्द फ़ौज'। बाद में उन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को आज़ाद हिन्द फौज़ का सर्वोच्च कमाण्डर नियुक्त करके उनके हाथों में इसकी कमान सौंप दी।

२१ अक्तूबर १९४३ के दिन सिंगापुर के कैथी सिनेमा हॉल में “आरज़ी हुकुमत-ए-आज़ाद हिन्द” की स्थापना की घोषणा की थी । स्वाभाविक रुप से नेताजी स्वतंत्र भारत की इस अन्तरिम सरकार (Provisional Government of Free India) के प्रधानमंत्री, युद्ध एवं विदेशी मामलों के मंत्री तथा सेना के सर्वोच्च सेनापति चुने गए । 

सरकार के प्रधान के रुप में नेताजी ने यह शपथ ग्रहण की थी -

“ईश्वर के नाम पर मैं यह पवित्र शपथ लेता हूँ कि मैं भारत को और अपने अड़तीस करोड़ देशवासियों को आजाद कराऊँगा। मैं सुभाष चन्द्र बोस, अपने जीवन की आखिरी साँस तक आजादी की इस पवित्र लड़ाई को जारी रखूँगा। मैं सदा भारत का सेवक बना रहूँगा और अपने अड़तीस करोड़ भारतीय भाई-बहनों की भलाई को अपना सबसे बड़ा कर्तव्य समझूँगा। आजादी प्राप्त करने के बाद भी, इस आजादी को बनाये रखने के लिए मैं अपने खून की आखिरी बूँद तक बहाने के लिए सदा तैयार रहूँगा।”

नेताजी ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपाइन, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दे दी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये। सुभाष उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया। अंडमान का नया नाम शहीद द्वीप तथा निकोबार का स्वराज्य द्वीप रखा गया। ३० दिसम्बर १९४३ को इन द्वीपों पर स्वतन्त्र भारत का ध्वज भी फहरा दिया गया। ४ फरवरी १९४४ को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा भयंकर आक्रमण किया और कोहिमा, पलेल आदि कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त करा लिया।

६ जुलाई १९४४ को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से गान्धी जी के नाम जारी एक प्रसारण में अपनी स्थिति स्पष्ठ की और आज़ाद हिन्द फौज़ द्वारा लड़ी जा रही इस निर्णायक लड़ाई की जीत के लिये उनकी शुभकामनाएँ माँगीं।

२२ सितम्बर १९४४ को शहीदी दिवस मनाते हुये सुभाष बोस ने अपने सैनिकों से मार्मिक शब्दों में कहा - 

"हमारी मातृभूमि स्वतन्त्रता की खोज में है। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा। यह स्वतन्त्रता की देवी की माँग है।" 

किन्तु दुर्भाग्यवश युद्ध का पासा पलट गया। जर्मनी ने हार मान ली और जापान को भी घुटने टेकने पड़े। ऐसे में सुभाष को टोकियो की ओर पलायन करना पड़ा और कहते हैं कि हवाई दुर्घटना में उनका निधन हो गया। यद्यपि उनका सैनिक अभियान असफल हो गया, किन्तु इस असफलता में भी उनकी जीत छिपी थी। निस्सन्देह सुभाष उग्र राष्ट्रवादी थे। उनके मन में फासीवादी अधिनायकों के सबल तरीकों के प्रति भावनात्मक झुकाव भी था और वे भारत को शीघ्रातिशीघ्र स्वतन्त्रता दिलाने हेतु हिंसात्मक उपायों में आस्था भी रखते थे। इसीलिये उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया था।

यद्यपि आज़ाद हिन्द फौज के सेनानियों की संख्या के बारे में थोड़े बहुत मतभेद रहे हैं परन्तु ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि इस सेना में लगभग चालीस हजार सेनानी थे। इस संख्या का अनुमोदन ब्रिटिश इंटेलिजेंस में रहे कर्नल जीडी एण्डरसन ने भी किया है।

जब जापानियों ने सिंगापुर पर कब्जा किया था तो लगभग ४५ हजार भारतीय सेनानियों को पकड़ा गया था।

नेताजी की इस कुर्बानी और जज्बे के लिए उन्हें शत शत नमन | 

आज़ाद हिन्द फ़ौज से जुड़ी कुछ तसवीरें :



इस जानकारी के साथ आज से त्योहारों के अवसर पर एक के साथ एक फ्री की स्कीम शुरू कर रहा हूँ | तो हुज़ुरेवाला ज्ञानवर्धक पोस्ट के साथ कविता पाठ का आनंद भी संलग्न है | आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ मेरे द्वारा लिखी गई एक ताजातरीन नई कविता | उम्मीद करता हूँ आपका आशीर्वाद मिलेगा और आज की पोस्ट आप सभी को पसंद आएगी | कल करवाचौथ का त्यौहार है ब्लॉग बुलेटिन टीम की तरफ से सभी वैवाहिक मित्रों को इस त्यौहार की बहुत बहुत बधाई | इस दिन खूब खाएं पियें, मस्त रहे और मौज करें | जय हो |धोखेबाज़ दोस्त
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अब ऐतबार के लायक रहा नहीं जहाँ
दोस्त बन के देते हैं धोखा कहाँ कहाँ

दर्द-ए-दिल बताओ जो अपना जान के
दो मुंहे डसते हैं ये फन अपना तान के

ना करना भरोसा दुनिया पर तुम कभी
दुखेगा दिल तुम्हारा सोचो ये तुम अभी

छिपा कर दिल के घाव रखो सबसे जुदा
दुनिया में मिलेगा पगपग पर नया खुदा

बातों में उनकी आकर पछताओगे तुम
सीने में खंजर घोंप के हो जायेंगे ये गुम

गुज़ारिश 'निर्जन' करता तुमसे है यही
भरोसा न करना ऐसों पर रहेगा सदा सही

प्रस्तुत है आज की कड़ियाँ
आर्ज़ी हुक़ूमत-ए-आज़ाद हिन्द का ७० वां स्थापना दिवस - शिवम् मिश्रा  
अपने टीवी को कंप्यूटर की तरह इस्तेमाल करें - फैयाज़ अहमदकविता - अन्नपूर्ण बाजपाईपिंजरे की तीलियों से बाहर आती मैंना की कुहुक - सुधा अरोडाएंड्राइड फ़ोन को रिसेट और फॉर्मेट कैसे करें - अभिमन्यु भरद्वाजये सोना अगर मिल भी जाये तो क्या है - अखिलेश्वर पाण्डेयतैंतीस करोड़ देवताओं को क्यों गिनने जाता है - सुशिल कुमारकरवाचौथ पर पत्नी जी के प्रति - मदन मोहन बहेती 'घोटू 'माहिया - विभा रानी श्रीवास्तवइश्क गोदाम में सड़ गया - निखिल आनंद गिरीउन पटरियों के संग संग - शिखा वार्ष्णेयखोदो न उन्नाव का यह गाँव बन्धु - शेफाली पाण्डेयअब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार

रविवार, 20 अक्तूबर 2013

बच्चा किस पे गया है - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम !

जब कोई बच्चा पैदा होता है तो सारे खानदान वाले उसे देखने आते हैं।

बच्चे का बाप बेटे को गोद में उठा के बोलता है,"मेरे बेटे का चेहरा तो मेरे पे गया है।"

माँ प्यार से देखकर बोलती है,"इसकी आँखें मेरे पे गई हैं।"

बच्चे का मामा देखकर बोलता है,"इसके हाथ पांव तो बिलकुल मेरे पे गए हैं।"

चाचा भी देखता है और बोलता है,"अरे इसकी मुस्कुराहट तो बिलकुल मेरे जैसी है।"


फिर जब वही बच्चा बड़ा होकर कोई गलत काम करता है तो सारे खानदान वाले कहते हैं,"पता नहीं ये कमबख्त किस पे गया है?"

अब ऐसे मे बच्चा बेचारा क्या करें ... आप बताएं !?

सादर आपका 

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बेचैनी ....


मिटटी की गुडिया

नीलिमा शर्मा at Rhythm

हमने कितना प्यार किया था.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया at काव्यान्जलि

an idea can change a lot


एक सपने का लोचा लफड़ा…

देवांशु निगम at अगड़म बगड़म स्वाहा....

पर बैठा रहा सिरहाने पर....

स्वप्न मञ्जूषा at काव्य मंजूषा

421. ज़िन्दगी

डॉ. जेन्नी शबनम at लम्हों का सफ़र

वेधशाला

देवेन्द्र पाण्डेय at चित्रों का आनंद

191. पंछी गीत सुनाएँ...(माहिया)

ऋता शेखर मधु at मधुर गुंजन

कशमकश


धन का देवता या रक्षक

राजीव कुमार झा at देहात
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

लेखागार