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मंगलवार, 10 जून 2014

नाख़ून और रिश्ते - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज का ज्ञान :- 
जब नाख़ून बढ़ जाते हैं तो नाख़ून ही काटे जाते हैं उँगलियाँ नहीं।
 इसलिए अगर रिश्तों में दरार आ जाये तो दरार को मिटाइये, रिश्तों को नहीं।

सादर आपका
शिवम् मिश्रा

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नदी हमारे मन में बहती

बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( ~ परमेश्वर का प्रेम भरा उपहार ~ )

यादों का सफ़र

और चपरासी के घर बिजली नहीं इतवार से।

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

8 टिप्पणियाँ:

Archana Chaoji ने कहा…

कमाल की ज्ञान की बात ......आभार

shikha varshney ने कहा…

दरार मिटायें, रिश्ते नहीं। बेहतरीन सन्देश के साथ बढ़िया सूत्र। स्पंदन को शामिल करने का शुक्रिया।
ब्लॉग "स्पंदन" अब अपने इस नए पते पर- www.shikhavarshney.com
कृपया अपने ब्लॉग का फोलोअर फीड रिफ्रेश कर के पुन: इस ब्लॉग को फॉलो करें।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर सन्देश के साथ रोचक सूत्र...आभार

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढिया व सुंदर संदेश के साथ प्रस्तुति व लिंक्स , मेरे पोस्ट को स्थान व सम्मान देने हेतु शिवम भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
I.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत उम्दा सूत्र ।

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

जब नाख़ून बढ़ जाते हैं तो नाख़ून ही काटे जाते हैं उँगलियाँ नहीं।
इसलिए अगर रिश्तों में दरार आ जाये तो दरार को मिटाइये, रिश्तों को नहीं।
kash

वाणी गीत ने कहा…

ज्ञान तो लाजवाब है आज का :)
लिंक्स भी देखे पढ़ कर !

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

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