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शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

१२२ साल पहले शिकागो मे हुई थी भारत की जयजयकार

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज से 122 साल पहले 11 सितंबर, 1893 को स्वामी विवेकानंद ने शिकागो पार्लियामेंट आफ रिलीजन में भाषण दिया था, उसे आज भी दुनिया भुला नहीं पाती। इसे रोमा रोलां ने 'ज्वाला की जबान' बताया था। इस भाषण से दुनिया के तमाम पंथ आज भी सबक ले सकते हैं। इस अकेली घटना ने पश्चिम में भारत की एक ऐसी छवि बना दी, जो आजादी से पहले और इसके बाद सैकड़ों राजदूत मिलकर भी नहीं बना सके। स्वामी विवेकाननंद के इस भाषण के बाद भारत को एक अनोखी संस्कृति के देश के रूप में देखा जाने लगा। अमेरिकी प्रेस ने विवेकानंद को उस धर्म संसद की महानतम विभूति बताया था। उस समय अभिभूत अमेरिकी मीडिया ने स्वामी विवेकानंद के बारे में लिखा था, 'उन्हें सुनने के बाद हमें महसूस हो रहा है कि भारत जैसे एक प्रबुद्ध राष्ट्र में मिशनरियों को भेजकर हम कितनी बड़ी मूर्खता कर रहे थे।' 
यह ऐसे समय हुआ, जब ब्रिटिश शासकों और ईसाई मिशनरियों का एक वर्ग भारत की अवमानना और पाश्चात्य संस्कृति की श्रेष्ठता साबित करने में लगा हुआ था। उदाहरण के लिए 19 वीं सदी के अंत में अधिकारी से मिशनरी बने रिचर्ड टेंपल ने 'मिशनरी सोसायटी इन न्यूयार्क' को संबोधित करते हुए कहा था- "भारत एक ऐसा मजबूत दुर्ग है, जिसे ढहाने के लिए भारी गोलाबारी की जा रही है। हम झटकों पर झटके दे रहे हैं, धमाके पर धमाके कर रहे हैं और इन सबका परिणाम उल्लेखनीय नहीं है, लेकिन आखिरकार यह मजबूत इमारत भरभराकर गिरेगी ही। हमें पूरी उम्मीद है कि किसी दिन भारत का असभ्य पंथ सही राह पर आ जाएगा।"
स्पष्ट तौर पर मात्र एक भाषण ने ऐसी ज्योति प्रज्ज्वलित की, जिसने पाश्चात्य मानस के अंतर्मन को प्रकाश से आलोकित कर दिया और ऊष्मा से भर दिया। इस भाषण ने सभ्यता के महान इतिहासकार को जन्म दिया। अर्नाल्ड टोनीबी के अनुसार- मानव इतिहास के इन अत्यंत खतरनाक क्षणों में मानवता की मुक्ति का एकमात्र तरीका भारतीय पद्धति है। यहां वह व्यवहार और भाव है, जो मानव प्रजाति को एक साथ एकल परिवार के रूप में विकसित होने का मौका प्रदान करता है और इस परमाणु युग में हमारे खुद के विध्वंस से बचने का यही एकमात्र विकल्प है।
सादर आपका
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हिन्दी

Asha Saxena at Akanksha 
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आज हमारी ब्लॉग बुलेटिन टीम के सक्रिय और सब के प्रतिभाशाली सदस्य हर्षवर्धन श्रीवास्तव जी का जन्मदिन है |
पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और सभी पाठकों की ओर से मैं उनको जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं देता हूँ |
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

8 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत बहुत बधाइयाँ, शुभकामनाऐं और आशीर्वाद हर्षवर्धन के लिये । सुंदर बुलेटिन सुंदर प्रस्तुति शिवम जी ।

Sunil Deepak ने कहा…

छायाचित्रकार को शामिल करने के लिए धन्यवाद शिवम तथा हर्षवर्धन को जन्मदिन की शुभकामनाएँ

Asha Lata Saxena ने कहा…

जन्म दिन पर हर्ष जी को बधाई |
आज के बुलेटीन में मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

हर्षवर्धन जी को ढ़ेरों आशीष के संग अशेष शुभकामनायें

आभारी हूँ मेरे लिखे को अपने पोस्ट में स्थान देने के लिए

जागो भारत जागो ने कहा…

हर्षवर्धन जी को मेरी तरफ से बहु बहुत शुभकामनाये .साथ ही आभार मेरे ब्लॉग को दस रचनाओं ,में शामिल करने के लिए

कविता रावत ने कहा…

बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
आभार!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

Admin ने कहा…

सार्थक बुलेटिन।
लजीज खाना को बुलेटिन में शामिल करने का शुक्रिया।

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