Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 8 सितंबर 2015

गंगा से सवाल पूछने वाला संगीतकार - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . .. . . . 
नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई, निर्लज्ज भाव से बहती हो क्यूँ. . . . 
इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को सबल संग्रामी, समग्रगामी. . बनाती नही हो क्यूँ. . . . 
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . .. 
अनपढ़ जन अक्षरहीन अनगिन जन खाद्यविहीन निद्रवीन देख मौन हो क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को सबल संग्रामी, समग्रगामी. . बनाती नही हो क्यूँ. . . . 
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . ..

व्यक्ति रहित व्यक्ति केन्द्रित सकल समाज व्यक्तित्व रहित निष्प्राण समाज को छोडती न क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को सबल संग्रामी, समग्रगामी. . बनाती नही हो क्यूँ. . . . 
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . ..

रुतस्विनी क्यूँ न रही ? तुम निश्चय चितन नहीं प्राणों में प्रेरणा प्रेरती न क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को सबल संग्रामी, समग्रगामी. . बनाती नही हो क्यूँ. . . . 
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . ..

उन्मद अवनी कुरुक्षेत्र बनी गंगे जननी नव भारत में भीष्म रूपी सूत समरजयी जनती नहीं हो क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को सबल संग्रामी, समग्रगामी. . बनाती नही हो क्यूँ. . . . 
विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निःशब्द सदा, ओ गंगा तुम, ओ गंगा तुम. .. ओ गंगा… बहती हो क्यूँ . .. 
गंगा से सवाल पूछने वाले स्व॰ भूपेन हजारिका जी को उनकी ८९ वीं जयंती पर ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि !
सादर आपका 
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

क्षमा बड़न को चाहिये ..

Rekha Joshi at Ocean of Bliss

देश का विकास......

स्वप्न मञ्जूषा at काव्य मंजूषा 
  ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...
 
जय हिन्द !!!

9 टिप्पणियाँ:

SKT ने कहा…

शिवम् भाई, मंच पर आमद कराने के लिए आपका आभार ...

SKT ने कहा…

शिवम् भाई, मंच पर आमद कराने के लिए आपका आभार ...

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

Dil se dhanywaad Shivam...

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति सुंदर बुलेटिन । आभारी है 'उलूक' सूत्र 'समाचार बड़े का कहीं बड़ा कहीं थोड़ा छोटा सा होता है' को भी स्थान दिया है शिवम जी ने।

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर बुलेटिन.
मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

Unknown ने कहा…

ब्लॉग को शामिल करने का शुक्रिया.

Jyoti Dehliwal ने कहा…

गंगा पर बहुत सुंदर प्रस्तुती...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

mridula pradhan ने कहा…

aabhar......bahut achche links......

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार