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सोमवार, 2 नवंबर 2015

प्रधानमंत्री जी के नाम एक दुखियारी भैंस का खुला ख़त

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज व्हाट्सअप पर मुझे एक खुला पत्र मिला ... पर वो खुला पत्र मुझे संबोधित नहीं किया गया था बल्कि प्रधानमंत्री जी को संबोधित किया गया था | अब आजकल जैसा चलन है इस प्रकार का खुला पत्र एक आम बात है ... पर आश्चर्य तब हुआ जब देखा कि पत्र किसी मनुष्य ने नहीं बल्कि एक भैंस ने लिखा है| जी हाँ, आप ने सही पढ़ा एक भैंस ने ...

मैं वो पत्र आप सब के साथ सांझा कर रहा हूँ ... आप भी पढ़ें कि आख़िर एक भैंस ने प्रधानमंत्री को पत्र भला क्यूँ लिखा ... वो भी खुला ... और वो भी सोशल मीडिया के माध्यम से !!

"प्रधानमंत्री जी,

सबसे पहले तो मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मैं ना आज़म खान की भैंस हूँ और ना लालू यादव की। ना मैं कभी रामपुर गयी ना पटना। मेरा उनकी भैंसों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। यह सब मैं इसलिये बता रही हूँ कि कहीं आप मुझे विरोधी पक्ष की भैंस ना समझे लें। मैं तो भारत के करोड़ों इंसानों की तरह आपकी बहुत बड़ी फ़ैन हूँ।जब आपकी सरकार बनी तो जानवरों में सबसे ज़्यादा ख़ुशी हम भैंसों को ही हुई थी। हमें लगा कि 'अच्छे दिन' सबसे पहले हमारे ही आयेंगे लेकिन हुआ एकदम उल्टा। आपके राज में तो हमारी और भी दुर्दशा हो गयी। अब तो जिसे देखो वही गाय की तारीफ़ करने में लगा हुआ है। कोई उसे माता बता रहा है तो कोई बहन। अगर गाय माता है तो हम भी तो आपकी चाची, ताई, मौसी, बुआ कुछ लगती ही होंगी।

हम सब समझती हैं। हम अभागनों का रंग काला है ना, इसीलिये आप इंसान लोग हमेशा हमें ज़लील करते रहते हो और गाय को सिर पे चढ़ाते रहते हो। आप किस-किस तरह से हम भैंसों का अपमान करते हो, उसकी मिसाल देखिये।

आपका काम बिगड़ता है अपनी ग़लती से और टारगेट करते हो हमें कि 'देखो गयी भैंस पानी में'। गाय को क्यों नहीं भेजते पानी में। वो महारानी क्या पानी में गल जायेगी?

आप लोगों में जितने भी लालू लल्लू हैं, उन सबको भी हमेशा हमारे नाम पर ही गाली दी जाती है, 'काला अक्षर भैंस बराबर'। माना कि हम अनपढ़ हैं, लेकिन गाय ने क्या पीएचडी की हुई है?

जब आपमें से कोई किसी की बात नहीं सुनता, तब भी हमेशा यही बोलते हो कि 'भैंस के आगे बीन बजाने से क्या फ़ायदा'। आपसे कोई कह के मर गया था कि हमारे आगे बीन बजाओ? बजा लो अपनी उसी प्यारी गाय के आगे।

अगर आपकी कोई औरत फैलकर बेडौल हो जाये तो उसकी तुलना भी हमेशा हमसे ही करोगे कि 'भैंस की तरह मोटी हो गयी हो'। पतली औरत गाय और मोटी औरत भैंस। वाह जी वाह!

गाली-गलौच करो आप और नाम बदनाम करो हमारा कि 'भैंस पूंछ उठायेगी तो गोबर ही करेगी'। हम गोबर करती हैं तो गाय क्या हलवा करती है?

अपनी चहेती गाय की मिसाल आप सिर्फ़ तब देते हो, जब आपको किसी की तारीफ़ करनी होती है 'वो तो बेचारा गाय की तरह सीधा है, या- अजी, वो तो राम जी की गाय है'। तो गाय तो हो गयी राम जी की और हम हो गए लालू जी के।

वाह रे इंसान! ये हाल तो तब है, जब आप में से ज़्यादातर लोग हम भैंसों का दूध पीकर ही सांड बने घूम रहे हैं। उस दूध का क़र्ज़ चुकाना तो दूर, उल्टे हमें बेइज़्ज़त करते हैं। आपकी चहेती गायों की संख्या तो हमारे मुक़ाबले कुछ भी नहीं हैं। फिर भी, मेजोरिटी में होते हुए भी हमारे साथ ऐसा सलूक हो रहा है।

प्रधानमंत्री जी, आप तो 'सब का विकास' के हिमायती हो, फिर हमारे साथ ऐसा अन्याय क्यों होने दे रहे हो?

प्लीज़ कुछ करो।

आपके 'कुछ' करने के इंतज़ार में - आपकी एक तुच्छ प्रशंसक!"

अब यह तो समय ही बताएगा कि प्रधानमंत्री जी इस पत्र का कोई जवाब देंगे या नहीं ... फिलहाल आप अपनी राय देना न भूलें |

सादर आपका
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

अंततोगत्वा सब माटी है... !!

अनुपमा पाठक at अनुशील

लड़की होना आसान नही होता

Neelima sharma at निविया

सीरिया संकट का वैश्वीकरण

ख्वाहिशों की पगडंडी

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ध्यान, ध्यानी और धमेख स्तूप

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ज़िंदगी की रात

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संशय

पी.सी.गोदियाल "परचेत"at अंधड़ !

दावानल सा

प्रवीण पाण्डेय at न दैन्यं न पलायनम्

यूपी वेड्स केरला

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टिम टिम रास्तों के अक्स

गौतम राजरिशी at पाल ले इक रोग नादां...

रश्मि रविजा ---- "काँच के शामियाने"

निवेदिता श्रीवास्तव at झरोख़ा

तुम्हारा कवि

दिव्य सौंदर्य

sadhana vaid at Sudhinama

ठहरे लम्‍हों में

रश्मि शर्मा at रूप-अरूप
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

22 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

आप सही बोली बहन भैंस । तुम कटती तो इतना दंगा नहीं होता । जय हो तुम्हारी ।
सुंदर बुलेटिन ।

Sadhana Vaid ने कहा…

भैंस का पत्र बहुत ही रोचक एवं चुटीला है साथ ही सोचने के लिये विवश करता है ! सार्थक लिंक्स से सुसज्जित आज का बुलेटिन ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिये आपका आभार शिवम जी !

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

'चित्रों का आनंद' को सम्मानित करने के लिए धन्यवाद।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

आपकी भैस तो गाय से भेरी स्मार्ट निकली! लाठी संभाल कर रखिये वरना गई.......

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

आपकी भैस तो गाय से भेरी स्मार्ट निकली! लाठी संभाल कर रखिये वरना गई.......

रश्मि शर्मा ने कहा…

Waah...bhains to bahut sahi boli...bahut rochak prastuti
Meri rachna shamil karne ke liye aabhar

अभिषेक शुक्ल ने कहा…

आभार भाई! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए..बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

भैंस भाई साब की जय ! :-)

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

भैंस भाई साब की जय ! :-)

Malti Mishra ने कहा…

भैंस का पत्र सचमुच काबिलेगौर है वैसे भी जब सभी अपनी समस्याएँ लेकर PM तक पहुँचते हैं तो भैंस क्यों नही
बहुत ही रोचक रचना है

Malti Mishra ने कहा…

भैंस का पत्र सचमुच काबिलेगौर है वैसे भी जब सभी अपनी समस्याएँ लेकर PM तक पहुँचते हैं तो भैंस क्यों नही
बहुत ही रोचक रचना है

SKT ने कहा…

गजब कर दिया भाई, धार पे ही धर दिया...

Rishabh Shukla ने कहा…

सुन्दर चर्चा ........... मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन की प्रतीक्षा |

http://hindikavitamanch.blogspot.in/

http://kahaniyadilse.blogspot.in/

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

भैंस का पत्र तो बहुत ही अच्छा लगा .... ईश्वर शीघ्र ही उसकी भी सुन ही लें अब तो :)

चुने हुए लिंक्स में हम भी .... बहुत - बहुत धन्यवाद !

कविता रावत ने कहा…

दु:खियारी भैंस बहुत समझदार है ..एकदम सही चिट्ठी लिखी है ..हक़ है सबको जीने का बराबर इस संसार में ...
.बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति
आभार!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

पता चला ना आज कि भैंसिया बड़ी होती है, अक्ल से

Unknown ने कहा…

achhi buletin hai,rochak charcha

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार |

ravindra ने कहा…

शिवम मिश्रा जी, आपको इस लेख के स्रोत (फ़ेकिंग न्यूज़) का भी ज़िक्र करना चाहिये था. जो आपने किया है, उसे साहित्यिक चोरी कहा जाता है. क्या आप अक्सर इधर-उधर से माल उठाकर अपने इस ब्लॉग पर छापते हैं?

ravindra ने कहा…

यह है फ़ेकिंग न्यूज़ पर प्रकाशित मूल लेख का लिंक- http://hindi.fakingnews.firstpost.com/society/pradhanmantri-ke-naam-ek-dukhiyari-bhains-ka-khula-khat-1110

ravindra ने कहा…

शिवम जी, इन सागर साहब ने इसे आप से एक दिन पहले ही अपने ब्लॉग पर छाप दिया था, लेकिन इन्होंने लेख का स्रोत बता दिया था- http://saagartimes.blogspot.in/2015/11/blog-post_47.html

शिवम् मिश्रा ने कहा…

रवीद्र जी,

सब से पहले तो आप इस बात के लिए मेरा अभिवादन स्वीकार करें कि जिस बंदे ने फरवरी 2011 से अपने ब्लॉग अपडेट नहीं किए है वो स्वंय दूसरे लोगो की पोस्टें पढ़, उन पर टिप्पणी कर ब्लॉग जगत मे अपना योगदान दे रहा है |

बाक़ी आप ने बिलकुल सटीक पहचाना मैं इस ब्लॉग जगत में आजकल दूसरों की पोस्टों की लिंक चुरा इस ब्लॉग में उसे पोस्ट करने के मामले में 'कुख्यात' हो चुका हूँ, और इस बाबत आप किसी भी 'सक्रिय' ब्लॉगर से पता कर सकते हैं !! पर पता नहीं क्यूँ लोग इसे चोरी नहीं मानते ... शायद उन में इतना ज्ञान जितना आप में है |

पर बंधुवर, मुझे मेरी इस 'साहित्यिक चोरी' के विषय मे अवगत करवाने के उत्साह में आप ने शायद यह पोस्ट ठीक से नहीं पढ़ी ... क्यूँ कि अगर आपने पोस्ट ठीक से पढ़ी होती तो आप ने यह जरूर पढ़ लिया होता कि यह पोस्ट मैंने एक व्हाट्सअप संदेश के आधार पर तैयार किया था ... और मान्यवर, व्हाट्सअप संदेशों के सोत्रों और मूल लेखकों के विषय में जानकारी प्राप्त करना या उस की पुष्टि करना मुझे नहीं आता | अगर आप को आता हो तो कृपया मेरा भी ज्ञानवर्धन करें |

आशा है इस 'साहित्यिक चोर' की इन दलीलों से आप संतुष्ट होंगे| वैसे मुझे यह लतीफ़ा लगा था ... बस ज़रा लंबा सा ... अब लतीफों पर अगर कॉपी राइट होने लगा ... फ़िर तो दिक़्क़त होगी ही !!

सादर|

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