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रविवार, 18 दिसंबर 2016

2016 अवलोकन माह नए वर्ष के स्वागत में - 34




जमाना बदला - हमेशा बदलता रहा है 
जीने का ढंग बदला - बदलना पड़ता है 
आदतें बदलीं - कुछ ज़रूरतों को मद्दे नज़र रखते हुए, कुछ दिखावे के लिए !

पहले लोग मिट्टी से बाल धोते थे, फिर धीरे धीरे एक दो साबुन बाजार में उतरा  ... अब क्या नहीं है बाजार में ! इतनी सुविधाएँ कि रोबोट हुए हम, समय से पहले बीमार हुए हम  ... 

2 टिप्पणियाँ:

कविता रावत ने कहा…

सुन्दर अवलोकन प्रस्तुति ...

Ashutosh Saxena ने कहा…

उम्दा लेख़।

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