Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 7 मार्च 2017

सबसे पहले देना सीखो




यदि आग उपलसब्ध नहीं तो अपने भीतर आग उतपन्न करो
पर उपदेश के बीज अपने भीतर लगाओ 
कर्तव्यों के बाड़ से उसे सुरक्षित करो 
जिस प्राप्य की अपेक्षा तुम्हें है 
उसे सबसे पहले देना सीखो 
फिर  .... जो भी निर्णय लेना चाहो, लो  ... 
महाभिनिष्क्रमण तुम्हारा 
निर्वाण तुम्हारा  ... 




आना था तुम तक
-----------------------
मैंने पत्‍थरों को रगड़ा, तुमने आग बनाई
तुम आए मुझ तक ताप लिए
मैं बचता रहा, मैं जल जाने से डरता था .....
बहते रहे तुम इस पार से उस पार तक
मैं तैरकर नदी पार करने को देखता रहा अपने पौरुष की तरह
तुम आए मुझ तक नमी लेकर, मैं भीगने से डरता रहा .....
बिना पल गंवाए पूरे वेग से आए तुम
मैं कोसता रहा तेज हवा को कि जिसमें फड़फड़ाते रहे मेरी डायरी के पन्‍ने
तुम आए सांस सांस में मुझ तक, मैं डरता रहा फड़फड़ाहट की आवाज़ से .....
इस ओर से उस छोर तक तुमने फैलाई बाहें
मैं पंख समेटे लौट आया था घोंसले में
मैं डरता रहा आसमान की अनंत दिशाओं में भटकने के डर से .....
तुम अंकुआए कोमल और हरा मन लेकर
धीरे धीरे खुले अर्थ पेड़ होते चले जाने के
मैं डरता रहा बीज-शब्‍दों से बाहर आने के खतरे से ....
तुम आते रहे बार बार, मैं बार बार डरता रहा
उम्र की आंख बंद होने के बाद दिखा कि
आग न हो तो सब जम जाता है भीतर
नदी नहीं होती किसी की, उसमें डूबने से पहले .....
भूल गया मैं कि हवा न होगी तो
सांस नहीं आएगी मेरी कविता को
मैं आसमान में बस वहां तक देख सकता था जहां तक कुछ नहीं था
तुम तो वहां थे जहां तक आना था मुझे
अपने डर से निकल कर .......

उछलती,चहकती
उफनती,मचलती
प्रवाह के
उन्नत -अवनत वेग, ,
बाँध बन गई
अचानक
बंदिशें,हिदायतें,, , ,
ठहरता प्रवाह
कसैला कर गया
तन -मन,
गोल -गोल डरी हुई
आँखें, , ,
सहमता मन, ,
सूखता अन्तर्मन, , .
शून्य होती आँखे, ,
बनने लगी रेत.,
वो, ,
भीतर ही भीतर, ,
आैर
एकरोज
पूरी की पूरी
रेत हो गई, , .
भीतर बहुत भीतर
टटोला,कुरेदा
जिंदा थे , ,
तरलता के चिन्ह्म,,,
कि, , , , , ,
बहती थी कभी
,प्रवाहमय
संगीतमय,लयमय,, ,
ये
रेत की नदी, ,

4 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति।

Kailash Sharma ने कहा…

जिस प्राप्य की अपेक्षा तुम्हें है
उसे सबसे पहले देना सीखो
...सटीक चिंतन...बहुत रोचक बुलेटिन..

Shanti Garg ने कहा…

Bahut sunder rrachna....
Mere blog ki new post par aapka swagat hai.

कविता रावत ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार