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गुरुवार, 18 मई 2017

अफवाहों के मकड़जाल में न फँसें, ब्लॉग बुलेटिन पढ़ें

नमस्कार दोस्तो,
किसी समय अंग्रेजों ने हमारे देश को मदारी, जमूरों का देश कहा था. बाद में आज़ाद देश के स्थानीय अंग्रेजों ने भी समय-समय पर देशवासियों की अपनी-अपनी परिभाषायें निर्मित की. किसी ने बेवक़ूफ़ कहा, किसी ने कैटल क्लास बताया, किसी ने कुछ, किसी ने कुछ. इन परिभाषाओं को पुष्ट करने का काम समय-समय पर समाज में फैलती तमाम बातों ने भी किया है. इसमें भी सदैव से पढ़े-लिखे लोगों का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है. कुछ दिनों पहले EVM के हैक किये जाने की अफवाह उड़ी. उसके भी पहले नोटबंदी के समय नए नोट को लेकर अनेक तरह की अफवाह फैलाई गईं. फोटोशॉप करके भी फोटो के द्वारा अफवाह फ़ैलाने का काम पढ़े-लिखे लोगों का ही होता है. अभी देखिये, एक पढ़े-लिखे विद्वान माने जाने वाले वकील साहब तीन तलाक जैसी नितांत अव्यवहारिक व्यवस्था की तुलना आस्था से करने बैठ गए. कुछ सालों पहले यही वकील साहब अदालत में हलफनामा देकर बता रहे थे कि जिस श्रीराम के प्रति हिन्दू आस्था व्यक्त करता है वे काल्पनिक हैं. 



इस अव्यावहारिक तुलनात्मक उदाहरण के साथ ही एक और घटनाक्रम दो-तीन दिन से बहुत तेजी से सबके बीच चलने में लगा है. इसमें लोगों को बताया-समझाया जा रहा है कि एक नौ अंकों के मोबाइल नंबर से फोन आएगा और उसे रिसीव करते ही मोबाइल फट जायेगा. हालाँकि अभी तक कहाँ-कहाँ मोबाइल फटा इसकी कोई जानकारी नहीं, इसके बाद भी इस मैसेज को लगातार-बराबर शेयर किया जा रहा है. ऐसे मैसेज समय-समय पर सोशल मीडिया की शान में चार चाँद तो लगाते ही हैं देशवासियों के सामान्य से ज्ञान पर भी रौशनी डालते हैं. कभी नमक की कमी होने लगती है, कभी कॉस्मिक किरणें रात को बारह बजे पृथ्वी के पास से निकलने लगेंगी, कभी कोई उल्का पिंड धरती पर गिरने की तैयारी करने लगता है.

ऐसे में याद आता है सन 1980 के आसपास का समय जबकि स्काई लैब के गिरने की अफवाह बहुत तेजी से फैली थी. उस समय लोगों में मरने के डर से, सब खो जाने के भय से अफरातफरी मच गई थी. समझा जा सकता है कि उस समय तकनीक का, संचार साधनों का अभाव था किन्तु अब तो प्रत्येक व्यक्ति तकनीकी संपन्न है, संचार साधनों के सहारे समूचे विश्व से जुड़ा है. ऐसे में किसी भी तरह की अफवाह पर समाज के बहुत बड़े वर्ग का चिंताग्रस्त हो जाना अंग्रेजों और देशी-अंग्रेजों द्वारा यहाँ के बहुतायत नागरिकों के लिए कहे गए वचनों को सिद्ध करता है. 


बहरहाल, इसी सन्दर्भ में एक हास्यकथा...

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एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा- "हमारे राज्य में मूर्ख कितने हैं?"
बीरबल ने कहा- "कल शाम तक बता दूंगा हुजूर!"
कुछ देर बाद अकबर के मोबाइल में एक मैसेज आया-"सावधान, 777888999 नंबर से कॉल रिसीव मत करना, यदि रिसीव किया तो मोबाइल में ब्लास्ट हो जाएगा!"
अकबर ने फ़ौरन उस मैसेज को अपने रिश्तेदारों, सहयोगियों, दोस्तों सहित सभी मंत्री, दरबारियों को शेयर किया। सारे मंत्री, दरबारी, दोस्त, रिश्तेदार भी उस मैसेज को शेयर करने लगे।
अगले दिन शाम को अकबर ने पूछा- "क्यों बीरबल, क्या हुआ, मूर्खों की गिनती हो पाई?
बीरबल बोला- "हुजूर, मोबाइल ब्लास्ट होने वाले मैसेज फॉरवर्ड करने वालों की गिनती करवा रहा हूँ, पता चल जाएगा कि राज्य में कितने मूर्ख हैं!"
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ये हास्यकथा इस विश्वास के साथ कि आप सब अफवाहों पर कान न देते हुए उसके बारे में पूरी पड़ताल करके, उसकी प्रामाणिकता को जाँचकर ही कोई कदम उठाएंगे, आज की बुलेटिन प्रस्तुत है.
आभार

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3 टिप्पणियाँ:

yashoda Agrawal ने कहा…

आदरणीय राजा साहब
शुभ संध्या..
एक मैसेज मेरे पास भी आया है
आभार...
सादर

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सारी अफवाहें पढ़ते हैं रोज आते हैं ब्लाग बुलेटिन पढ़ने उनसे कहिये जो अपनी अपनी अफवाहें पढ़ने ही आते हैं ब्लॉग बुलेटि पर :)

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी चिंतन कराती बुलेटिन प्रस्तुति

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